कुलदेवी आरती
- !! आरती नाना देवी जी की !!
- ( 1 ) आरती
- ऊँ जय नाना देवी माता ओम जय नाना देवी माता !
- शेष नाग हो सकती तुम्हारी सर्व जग जस गाता
- शेश तुल्य शक्ति हो , सुर्यसम रूपवती माँ दुर्गा
- शेशा अवतारी तुमको ध्यावे ब्रम्हाविष्णु जी । । ओम । ।
- पाताल लोक से आकर तुमने जग दरस दीया । । मैया । ।
- जन्म मरण स्वंयम्बर यक्षो सम्पन किया ।
- नारद संग तुम आई , वचनो में बंधकर | | मैया । ।
- किया मृत्युलोक उज्जवल , पाताल लोक से चलकर | |
- कुम्भा घर दक्ष पुजाई , कुण्डी अवतार लियो ।
- रक्षा बंधन में बंधकर कुम्भा पर आई । मैया । ।
- लक्ष्मीनाम धर माँ बल प्रति घर घर आनन्द आया । ।
- ताम्बुल कर तम्बोली को , आकर तुमने जनम दीया । ।
- कुम्बा सुत तुमको सुमीरे , मन वांछित वर पावे । । मैया । ।
- पडे सरण है कुमरावत , नीत स्तुति गावें ।
- नाग वेल मांबडी आरती , कुल गुरू भट गावे । । मैया । ।
- है हम सरण तुम्हारे , ईच्छा फल पावे | | ओम । ।
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- ( 2 ) आरती
- जय नानादेवी माता ओ मैया जय नागवेल माता |
- भक्त जनो के संकट, क्षण मे दुर करे , ||जय नानादेवी माता ||
- मांग सिंदुर विराजत टीको मृदमदको |
- उज्जवल से दव नैना चंद्रवदन नीको ||जय नानादेवी माता||
- कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै |
- रक्त पुष्प गल माला कन्ठनपर साजे ||जय नानादेवी माता||
- केहरी वाहन राजत खडग खपर धारी |
- सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी ||जय नानादेवी माता||
- कानन कुंडल शोभीत नासाग्रे मोती |
- कोटिक चंद्र दिवाकर सम राजत ज्योती ||जय नानादेवी माता||
- चौसठ योगिनी गावत ,नत्य करत भैरू |
- बाजत ढोल मृदंगा ओर बाजत डमरू ||जय नानादेवी माता||
- तुम ही पान माता ,तुम ही नागवेल माता
- ,तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता ||जय नानादेवी माता||
- जो तम्बोली तुम्हे ध्यावे फल पावे ,दुख बिन से मन का |
- सुख सम्पति घर आवे कष्ट मिटे तन का ||जय नानादेवी माता||
- कंचन थाल विराजत अगर कपुर बाती |
- श्री मालकेतु मे राजत कोटी रतव ज्योती ||जय नानादेवी माता||
- श्री नानादेवी माता की आरती जो कोई नर गावे सुख सम्पति पावे|
- जय नानादेवी माता मैया नागवेल माता तुम ही पान माता ||जय नानादेवी माता ||
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