समाज सुधार हेतु सुझाव
- तम्बोली समाज में अधिकांश कृषक या मजदूर वर्ग अधिक है। और कई परिवार
- पान की पनवाडी पर निर्भर करता हे !जिसमे आय से अधिक ख़र्च हो जाता है.मौसम की मार से पनवाड़ी मे काफी नुकसान हो जाता है.जिससे की परिवार की आमदानी दयनीय हो जाती है.
- हर समाज के परिवार मे कूछ ना कूछ कमी रही जाती है.
- अब समय बदल गया है समाज मे शिक्षा का प्रसार भी काफी हो गया है.वेसे तो तम्बोली समाज बंधु डॉक्टर.इंजीनियर.समाज सुधारक.लेखक पत्रकार.अधिकारी.कर्मचारी.अधिवक्ता.शिक्षक.विचारक.चिंतक.
व्यापारी.उद्योगपति आदि है.जो
शेक्षिक और आर्थिक रुप से परिपूर्ण है.जिन्हे सक्षम माना जाता है.पर समाज मे अधिकाँश- कहते है क्या ये मेरी अकेले की जिम्मेदारी है या मे अकेला क्या कर लूँगा.मे ही क्यू करूँ जबकि एक अकेला ही बहुत कूछ कर सकता है.सबसे पहले देश.परिवार.व समाज के अन्य लोगो के लिये भी सोचना चाहिए
- संख्या तो मध्यवर्ग और गरीब की है.जो अभी भी अपने बालक बालिकाओ को शिक्षा व अभाव की जिंदगी जीते है.जो समाज बंधु आर्थिक रुप से अधिक कमजोर है उनको भी आगे बढ़ाने के लिये अवश्य प्रयास करने चाहिए !
हम अक्सर दूसरो पर थोप देते है
उनके लिये अवश्य कूछ करे.मनुष्य का चरित्र व्यवहार रहन सहन का स्तर ऊँचा होगा तो - तो हम उस समाज को एक सशक्त समाज कह सकते है.जेसा समाज होगा वैसा ही उस व्यक्ति का व्यवहार होगा.यह बात अलग है हर समाज मे अच्छॆ बुरे लोग होते है.सबकी विचार धारा अलग अलग होती है कोई एक दूसरे से जलन.नफरत.एक दूसरे की टाँग खिंचना.सभी का अपना अपना एक अलग स्वभाव होता है.पर हमे अपने तम्बोली समाज को इन सभी बातो से दुर रखना है.आज जिस तरह से हमारे समाज मे बदलाव हो रहे है.ऐसे हालात मे
हम उस समाज को स्तर ऊँचा होगा.
अच्छॆ बुरे की पहचान करना बहुत ही कठिन कार्य है पढ़े लिखे लोग ही समाज के लिये अच्छा सोचे ये ज़रूरी नही है.समाज के प्रत्येक
व्यक्ति का समाज के प्रति फर्ज बनता है.कई पिछड़ी जातियों केकिये गये है_ - समाज बंधु भी अपने समाज की कुरीतियों.कमियों.दुर कर समाज सुधार कर रहे है.हमारे समाज को भी प्रगतिसील बनाने के लिये भी आवश्यक सुधार होने चाहिए.
- इस विषय मे अपने समाज सुधार हेतु कूछ सुझाव इस प्रकार प्रस्तुत
- (क). शिक्षा का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार :-
- 1. अनिवार्य शिक्षा :- समाज में सभी बालक-बालिकाओं को शिक्षा अनिवार्य रूप से दिलवाई जाये । सामाजिक उन्नति हेतु प्रत्येक को शिक्षित होना अति आवश्यक है ।
- 2. बालिका शिक्षा पर जोर देना :- जैसा कि कहा जाता है कि लड़के को शिक्षा दिलाना तो उसे स्वयम् को ही शिक्षित करना है किन्तु लड़की को शिक्षा दिलाना उसके सारे परिवार को शिक्षित करना है । शिक्षित लड़की अपनी भावी पीढ़ि को शिक्षा तो दिलायेगी ही उन्हें पूर्णत: सुशिक्षित भी बनायेगी । अत: बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान चाहिए । जो साधन सम्पन्न है वे चाहे तो उच्च शिक्षा व मेडिकल इंजीनियरिंग आदि की शिक्षा भी दिला सकते है । किन्तु उच्च शिक्षा दिलाते समय यह अवश्य विचार कर लें कि समाज में उनके योग्य वर तथा धर तलाशने में व रिश्ता करने में कुछ पेरशानियां होने लग गई है । अब अनेक जगह लड़कों की पढ़ाई का ग्राफ गिरने लग गया है, और अधिकतर पढ़े लिखे लड़के बेरोजगार भी होते है । जो रोजगार शुदा है तथा डॉक्टर इंजीनियर कुछ योग्य लड़कों को दूसरी जाति वाले उचकाकर ले जाते है ।
- 3. प्रौढ़ शिक्षा की ओर ध्यान देना :- हमारे समाज में शिक्षा का आंकड़ा कम होने के कारण जहां तक सम्भव हो शिक्षा में रूचि रखने वाले लोग अपने परिवार के प्रोढ़ों को भी अवश्य शिक्षित बनाये व अन्य लोगों को भी प्रेरित करें ।
- 4. शिक्षा में गुणात्मक सुधार :- हमारी जाति में शिक्षा का प्रचार-प्रसार तो ठिक ही हो रहा है । आज छोटे-छोटे गांवों में भी अनेक बी.ए., एम.ए. व अन्य डिग्री प्राप्त युवक मिल जायेंगे किन्तु उनमें वांछित योग्यता के अभाव में बेरोजगार होकर इधर-उधर मारे-मारे फिरते हैं । हमारे समाज में उच्च पदों पर बहुत ही कम व्यक्ति ही जाते हैं । अत: शिक्षा में गुणात्मक सुधार की आवश्यकता है ताकि किसी भी प्रतियोंगिता में उत्तीर्ण होकर, उच्च पद पर नियुक्त होकर अपना व जाति का नाम रोशन कर सके ।
- 5. प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करना :- समाज के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को सामाजिक संगठन तथा व्यक्तिगत स्तर पर प्रोत्साहन हेतु छात्रवृति, पठन सामग्री व अन्य आवश्यक सामान में सहायता करें, उन्हें समारोह में पारितोष्क व मेडल दिये जाये । इससे अन्य छात्र-छात्रायें भी उनके जैसा बनने के लिए प्रोत्साहित होंगे ।
- 6. चारित्रिक शिष्टाचार की शिक्षा भी देना :- आज कल नये वातावरण, सिनेमा व टेलीविजन के कारण कुछ युवा वर्ग के पाँव फिसलने लग गये है और वे पढ़ाई लिखाई बन्द कर, दूर भागकर चोरी छुपे शादी विवाह रचा लेते हैं, कुछ कुसंगत मे लग जाते है । अत: हर माता-पिता को चाहिये कि लड़के-लड़कियों के चरित्र व कार्यों पर पूर्ण निगाह रखें । उन्हें शिष्टाचार का पूरा-पूरा ज्ञान दें व बोलचाल तथा व्यवहार का भी ज्ञान दे ।
- (ख). सामाजिक कुरीतियों पर अंकुश लगाना :- आज के बदलते हुये परिवेश में हर समाज अपनी प्रचीन सामाजिक कुरीतियों को शनै: शनै: समाप्त कर रहे हैं और आवश्यकतानुसार संशोधन भी कर रहे है । हमें भी हमारे समाज में व्याप्त निम्नलिखित कुरीतियों में सुधार करना व अंकुश लगाना चाहिए । हमारे पंच-पंचायत समाज सुधारक तथा सामाजिक संगठन इस ओर कठोर कदम उठाये –
- 1. मृत्युभोज, गंगा भोज पर अंकुश लगाना :- समाज सुधारक इन्हें कम तथा बन्द करने में लगे हुये है । अब इसमें काफी सुधार व कमी तो हुई है फिर भी अनेक क्षेत्रों में अब भी भोज विशाल रुप में हो रहे है ऐसा भी देखा जा रहा है कि कई लोग तो अपने रिश्तेदारों के दबाव और समाज मे दिखावा करने के लिए उधार रूपये लेकर बड़े आयोजन करते देखे गये है जो निन्दनीय है । इन्हें जहां तक हो बन्द किया जाना चाहिए अन्यथा इसे सिमित और समाज मे सभी के लिए फिक्स मेनू कर देना चाहिए जो समाज बंधू मेनू का उलंगन करता हे उन पर बंधू पर जुर्माना रखा जावे।
- यदि कोई व्यक्तिगत अंकुश लगावें तो वह कारगर नहीं होता इन्हें तो पंचायत व समाज संगठन व्दारा ही समाप्त कर अंकुश लगाया जा सकता है.
- 2. सगाई,विवाह में फिजूल खर्चें पर अंकुश लगाना :- आज कल सगाई की लेन-देन भी दो-तीन तथा कहीं-कहीं तो चार-चार स्टेज पर भी होने लग गई जिनमें कई तो शादी जैसी तैयारी व खर्चा करने लग गये और कुछ तो दो-तीन लाख तक भी खर्च करते देखे जा रहे है । इसे सीमित किया जाये व दस्तूर भी एक ही स्तर पर हो ।
- । इसे भी कम किया जाय । हो सके तो विवाह भी सामूहिक विवाहों में ही करना चाहिये ।
- 3 दहेज व अन्य लेन देन भी सीमित हो :- अब लोग देखा-देखी अपनी आर्थिक दशा से अधिक भी लेन-देन व दहेज या सामान देने लग गये है उनका यह दृष्टिकोण भी होता है कि लड़के वाले खुश रहेंगें तो लड़की को ठीक रखेंगे । इस विषय में दोनों पक्षों को ही सोचना चाहिये । दहेज व लेन-देन की मात्रा सीमित रखें।
- वेसे भी तम्बोली समाज मे अन्य समाज की तरह दहेज की लडको द्वारा मांग तांग नही की जाती हें.
- और नही कोई ऐसे मामले सामने आये हें और आना भी नही चाहिए।
- (ग). जन स्वास्थ्य सुधार कार्यों पर ध्यान देना :- हमें हमारे खान-पान व स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए तथा वासनाओं पर अंकुश लगाना चाहिए इसके लिए निम्न उपाय किये जाये –
- 1. नशा बन्दी पर जोर देना :- हमारे समाज में व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर शराब का बहुत कम प्रचलन है । और जो समाज बंधू इन चीजो का आधी हो गया उनसे निवेदन हें इन चीजो से कोसो दूर रहे इससे एक ओर जहां धन की हानि तथा स्वास्थ्य में गिरावट होती है. कुछ समाज बंधू शादी बारात मे पी लेने से सामाजिक कार्य की दुर्गति ही कर देते है।
- अत:कुछ व्यक्ति जो शराब का सेवन करते हें उन पर- सभी प्रकार के सामाजिक कार्यों में शराब का प्रयोग करना तो बिल्कुल बन्द ही कर देना चाहिए तथा करने वालों को पंचायत व संगठन द्वारा दंडित कर देना चाहिए । इसके अतिरिक्त अन्य नशीली वस्तुयें जैसे भांग व गांजा गुटखे आदि के सेवत भी बन्द कर दें ।
- 2. अंध विश्वासों को नहीं मानना :- अनेक लोग बीमारी तथा अन्य आपदाओं के समय अंध विश्वासियों के चक्कर में पड़ जाते है और स्याणे, भोपा, जोगी, मौलवी, झाडू-फूंक करने वाले ओझा तथा देवी-देवताओं के झूंठे चक्कर में पड़कर रूपये पैसे की बरबादी भी कर देते है व स्वास्थ्य में भी हानि करा लेते है । कई लोग तो जान भी गवां देते है । कई जगह तो लोग सामाजिक कार्यों में भी अंध विश्वासों में पड़कर बर्बाद हो जाते है । हमें ऐसे झूंठे व्यक्तियों से बचना चाहिये और बीमारी आदि में उचित निदान करवाना चाहिये ।
- 3. जनसंख्या पर नियंत्रण :- हमारे देश की जनसंख्या प्रतिवर्ष करोड़ों में बढ़ती जा रही है । पहले लोग कहते थे बहु परिवार सुखी, पर अब तो वह दु:खी होता है । आज अधिक संतान होने से उनका पोषण व सगाई ब्याह में ही गृहस्थी पूरी तरह दु:खी व परेशान हो जाता है । और उसकी उम्र ही पूरी हो जाती है । वह उन्हें भली प्रकार से न तो शिक्षित बना सकता है और न पूर्ण विकास ही । अत: सीमित परिवार रखने से सन्तान का पूर्ण विकास होगा व आप भी सुखी रहेंगे । आप परिवार नियोजन कर देश के विकास में भी सहयोगी होंगे ।
- 4. बाल विवाह पर रोक लगाना :- बाल-विवाह करना सन्तान के विकास में अवरोध पैदा करना मूर्खता पूर्ण कार्य है । जब लड़के-लड़की युवा हो जायें तथा घर गृहस्थी का भार संभालने योग्य हो जायें तभी उनका विवाह करना चाहिये । इससे उनका भावी जीवन भी सुखी होगा । कम आयु में विवाह करने से जल्दी ही सन्तान उत्पन्न होगी जिससे माता-पिता व सन्तान भी अस्वस्थ्य व अशक्त ही रहेंगे ।
- (छ). आर्थिक विकास पर जोर देना :- हमारे पुश्तैनी धन्धे पान और पनवाडी का जो की लगभग कम हो गये तो किसी बंद ही कर दिया हें. किसी के पास कृषि करने हेतु जमीन नही है, और जमीन है तो पानी भी नहीं है । लड़कों के पढ़ लिख जाने से वे मेहनत मजदूरी भी नहीं कर सकते । और नौकरियां मिलता भी लगभग समाप्त सा हो गया । जिससे बेरोजगारी की समस्या अधिक उग्र हो रही है । अत: रोजगार व आर्थिक विकास हेतु निम्न सुझाव प्रस्तुत है-
- 1. समाज में रोजगार के नये-नये आयाम स्थापित किये जायें :- आज कल रोजगार के नये-नये आयाम चालू हो रहे है और कम्प्यूटर युग आ गया है । अत: हमें भी हमारे युवाओं को इस ओर प्रेरित करना चाहिये । पुरानी परिपाठी को छोड़कर इस ओर विशष ध्यान दे, विशेष कर कम्प्यूटर सीखने पर ।
- 2. रोजगार सम्बंधी विशेष ट्रेनिंग लेना :- जो युवक शिक्षा में कमजोर हो तो उन्हें उच्च शिक्षा यानी बी.ए., एम.ए. न कराकर सैकेण्डरी के बाद ही किसी भी धंधे की ट्रेनिंग में भिजवा देना चाहिये । जैसे आई.टी.आई. में ही बिजली,कम्प्यूटर,मोबाईल, टी.वी. मैकेनिक, टाईपिंग, समय अनुसार का काम आदि सिखाये ।
- 3. कृषि व उद्योग को प्रोत्साहन देना :- कृषि व कुटीर उद्योग कार्यों मे भी विशेष रूचि लेकर काम करना चाहिये तथा उद्योग विभाग, सहकारी विभाग व बैंक आदि से ऋण व अनुदान प्राप्त कर व्यवसाय को बढ़ाना चाहिये । इसके अतिरिक्त ग्रह उद्योग पर भी ध्यान देकर सहभागी बने । इन कार्यों से परिवार के सभी लोगों को रोजगार मिल जाता है ।
- हमारे पारस्परिक भेदभाव भुलाकर संगठन को सुदृढ़ बनाएं
- (च). महिलाओं के साथ समानता व न्यायोचित व्यवहार करना :- महिलाओं के साथ अत्याचार न कर समान व न्यायोचित व्यवहार करे । उनके अधिकारों की पूर्ण सुरक्षा करें तथा सामाजिक संगठनों में भी उन्हें सम्मिलित करे । वास्तव में नारी सम्मान व श्रद्धा की पात्र है, वह पुत्री बनकर आती है तथा पत्नी, माँ व दादी बन कर पुरूष वर्ग की सहृदय व पूर्ण तन्मयता से सेवा करती है । किसी ने कहा है कि :-
- नारी नर की खान है, नारी नर की शान ।
- नारी से नर ऊपजै, ध्रुव प्रहलाद समान ।।
- अत: महिलाओं का उचित सम्मान करें और उन्हें समान व न्यायोंचित अधिकार प्रदान करें । उनके उचित कार्यों में बाधक न बने ।
- (छ). राजनीति व सत्ता में भागीदार होना :- हमारे समाज की राजनीति व सत्ता में भागीदारी बहुत ही कम है । इस कमी के कारण हमारे अनेक आवश्यक कार्य भी नहीं होते और हम मुंह ताकते ही रह जाते है । अत: अधिक से अधिक लोगों को राजनीति में भी जाना चाहिये । आप अपनी पसन्द की किसी भी पार्टी में सम्मिलित होकर कार्य करें । यदि आप ठोस कार्यकर्त्ता होंगे तो पार्टी आपको चुनाव में टिकिट भी देगी।
- अत: समाज के सभी युवा व प्रौढ़ बुद्धिजीवियों से मेरा यही आग्रह है कि वर्तमान परिवेश में समाज संगठन के महत्त्व को समझें और संगठित होकर समाज सुधार सम्बंधित सभी बातों पर पुरजोर ध्यान दें । समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करें व प्रगतिशील बातों की ओर ध्यान देकर समाज उत्थान हेतु उन्हें क्रियान्वित करें तभी हमारे समाज की उन्नति सम्भव है ।
- धन्यवाद !